" षड़यंत्र "
आँखों की प्यास
और पेट की भूख
हवाओं में उठती बेचैनी
और दिल की हूक
तेरे चुम्बन की याद
और गालियों की भूल
प्रतीक्षारत हूँ अब भी
की आ जाएगी धुप
मन के आंगन में मेरे
तुझसे विरक्ति की
ये भ्रम की लकीरें
नहीं मिटतीं मिटाने से
किसी विवेक के रबर से
पर नहीं
मै जानता हूँ कि भ्रम है यह
मिटा सकता हूँ भ्रम यह
स्वयं मैं?
पर जाने क्यूँ हूँ लाचार
एक अक्षम सक्षमता
एक स्वरचित षड़यंत्र
अपने द्वारा
अपने प्रति?
क्या है यह ?
शायद --------?
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