tag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.comments2023-06-29T16:28:32.433+05:30सफरनामासंतोष कुमार चौबेhttp://www.blogger.com/profile/14678422623297138411noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-79442341010310880482012-10-27T12:21:14.217+05:302012-10-27T12:21:14.217+05:30बीतता जीवन टूटते मिथक,सत्य परिभाषित नहीं भोगा गया,...बीतता जीवन टूटते मिथक,सत्य परिभाषित नहीं भोगा गया,''सत्य ही सत्य है ?एक अच्छी रचना लगभग सत्य के संधान में रत ...शुभकामनाये रवि शंकर पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/18051908706983733821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-5598743001361760022012-10-27T11:07:09.710+05:302012-10-27T11:07:09.710+05:30कथ्य और शिल्प की दृष्टि से अतुलनीय ...सराहनीय प्रय...कथ्य और शिल्प की दृष्टि से अतुलनीय ...सराहनीय प्रयाश ..रवि शंकर पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/18051908706983733821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-12260533629448910292012-07-13T09:30:27.938+05:302012-07-13T09:30:27.938+05:30वर्तमान मनोसामाजिक,राजनितिक परिदृश्य के केन्द्रीय ...वर्तमान मनोसामाजिक,राजनितिक परिदृश्य के केन्द्रीय तत्व का चीत्कार, स्वयम की तलाश में आम आदमी।एक अतियथार्थवादी कविता, बहुत ही सघन अभिव्यक्ति ...मन को संत्रितप्त करने वाली ...बधाईरवि शंकर पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/18051908706983733821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-82264737273636189212012-04-23T13:19:35.665+05:302012-04-23T13:19:35.665+05:30संतोष जी की विवेचना भी एक पक्ष है.
अनुवाद को लेकर...संतोष जी की विवेचना भी एक पक्ष है.<br /><br />अनुवाद को लेकर बस इतना कि मूल कविता के साथ-साथ हिन्दी से भी न्याय ज़रूरी होता है. सिंटेक्स का थोड़ा और ध्यान रखा जा सकता था. फिर भी इस प्रयास के लिए शुभकामनाएं और धन्यवादAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-73861185840314694332012-04-12T22:37:51.840+05:302012-04-12T22:37:51.840+05:30आपकी सारी बतिया सही है भाई ! बस जरा एक दूसरा नज़ार...आपकी सारी बतिया सही है भाई ! बस जरा एक दूसरा नज़ारा भी देख लें ! ये कवि नाजी दल का सदस्य था और आज अफ़सोस जता रहा है ! वही नाजी , जिनका कृत्य " यहूदियों " के प्रति जगजाहिर है ! अपराध देर से स्वीकार करने या कलई देर से खुलने के कारण अपराध की तीव्रता कम हो जाती है क्या ?? मुझे तो ये कविता एक मक्कारी नज़र आती है ! इस कवि के अन्दर का नाजी भेष बदल के आया है, मानवीयता की आडं में ये छिप के वार कर रहा है और सोची समझी मानसिकता के तहत साम्राज्यवाद के खिलाफ चल रहे माहौल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाह रहा है ! गौर से देखें तो पता चलेगा की यह शख्श इजरायल राष्ट्र को भी बड़ी चालाकी से नकार रहा है और इरान कट्टरपंथ- नाभिकीय इक्षा को " आम जन " की भावना बता रहा है ! अगर ये पश्चिम और इजरायल के राष्ट्रवाद को कोस रहा है तो ये इसका नाजी दर्द बोल रहा है, जो कभी पराजित हुआ था ! अब बताएं ! ये विवेचना कैसी है ? ha ha ....Santoshhttps://www.blogger.com/profile/15733814630193589718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-25483799214238352972012-04-12T21:56:00.660+05:302012-04-12T21:56:00.660+05:30पहले तो बहुत आभार आपका इस कविता को अनूदित करने के ...पहले तो बहुत आभार आपका इस कविता को अनूदित करने के लिए ...जहाँ तक मैं इसे समझ पाया हूँ ,कि यह अनुवाद काफी प्रवाहमय और अर्थपूर्ण है ...जाहिर है कि हमारी ईच्छा इसके अर्थ तलाशने की ही थी | और उसमे यह अनुवाद पुरी तरह से खरा उतरता है ....हार्दिक बधाई आपको ...रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-27162378934889737142012-03-16T22:55:15.018+05:302012-03-16T22:55:15.018+05:30बेहतर है...आपको लगातार लिखना चाहिए ...बहुत संभावना...बेहतर है...आपको लगातार लिखना चाहिए ...बहुत संभावनाए हैं आपमें...रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-86578742716162565332011-09-15T09:35:17.347+05:302011-09-15T09:35:17.347+05:30बढ़िया है...आगे भी कोशिश जारी रहे , यही कामना है.....बढ़िया है...आगे भी कोशिश जारी रहे , यही कामना है.......सच में यह सवाल बहुत बड़ा है कि हम किसे जीवन माने......? और यह भी कि क्या हम इसी के लिए आये थे यहाँ..? ....हम सबको इन सवालो से टकराना चाहिए....रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-45043790554057645882011-07-22T17:52:41.699+05:302011-07-22T17:52:41.699+05:30हम सभी जीवन के किसी मोड़ पर ऐसे सवालों से कभी न कभ...हम सभी जीवन के किसी मोड़ पर ऐसे सवालों से कभी न कभी जरूर रु-ब-रु हुए होंगे लेकिन आपने इन सवालों को जिस सुन्दर तरीके से लिपिबद्ध करने की पहल की है उसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रहा जा सकता है| अतीत हमेशा आकर्षित करता है लेकिन उसकी पड़ताल हमेशा संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण होता है| इस संवेदनात्मक चुनौती में उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए बधाई| लेकिन मन में कवि मित्र अंशुल की एक कविता बार-बार दस्तक दे रही है- आखेट पर जा कर कभी न लौटने वाली राजकुमारियां थीं/ गर्भ संभाले टहलती हुई दासियाँ थीं/ मकबरों पर रोने को थीं वेश्याएं/ इतिहास में स्त्रियाँ कहाँ थीं?<br /><br /> हमारे 'सफरनामे ' में इसकी भी तलाश होनी चाहिए कि 'पितर नेवतने ' का गीत स्त्रियाँ ही क्यों गाती हैं? और उनका समस्त दायित्व पितर नेवतने जैसे कर्मकांडों तक ही क्यों सीमित रहा?Dr. Priyamvadhttps://www.blogger.com/profile/15313341553360238580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-7466742641857826992011-04-26T22:49:07.568+05:302011-04-26T22:49:07.568+05:30अगर आप पूर्वांचल से जुड़े है तो आयें, पूर्वांचल ब्...अगर आप पूर्वांचल से जुड़े है तो आयें, <a href="http://poorvanchalbloggerassociation.blogspot.com/" rel="nofollow">पूर्वांचल ब्लोगर्स असोसिएसन:</a>पर ..आप का सहयोग संबल होगा पूर्वांचल के विकास में..आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-27689787855374435722011-02-19T15:01:12.423+05:302011-02-19T15:01:12.423+05:30इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत मे...इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-10646411404840486702011-02-16T21:51:30.770+05:302011-02-16T21:51:30.770+05:30श्री संतोष कुमार चौबेजी, नमस्कार...
हिन्दी ब्लाग ज...श्री संतोष कुमार चौबेजी, नमस्कार...<br />हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित... <br />http://najariya.blogspot.com/Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8688826834262331339.post-69280880680917153262011-02-08T09:13:08.671+05:302011-02-08T09:13:08.671+05:30उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद 'मीणाजी,आप जयपुर क...उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद 'मीणाजी,आप जयपुर के हैं और मैंने अपने ब्लॉग पर एक पुरानी पोस्ट जयपुर पर डाल रखी है ,यदि आप <br />उसपर भी अपनी मूल्यवान टिप्पडी से अवगत करते तो मैं अपने आप को समृद्धतर समझतासंतोष कुमार चौबेhttps://www.blogger.com/profile/14678422623297138411noreply@blogger.com